गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर। गैरों के लिए खुद को मिटाकर अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर।
नहीं फ़िक्र है कहाँ है जाना बस सीखा है बढ़ते जाना गिरती हूँ पर गिरी नहीं हूँ नहीं फ़िक्र है कहाँ है जाना बस सीखा है बढ़ते जाना गिरती हूँ पर गिरी नहीं हू...
खेत खलिहान और बाग बगीचे सब है प्यासे इस नदिया के खेत खलिहान और बाग बगीचे सब है प्यासे इस नदिया के
काँपती थी अपने ही लावण्य से काँपती थी अपने ही लावण्य से
खामोश सी नदी आसमान ओढ़े हैं तेज हवाएँ मगर लहरें नहीं। खामोश सी नदी आसमान ओढ़े हैं तेज हवाएँ मगर लहरें नहीं।
ए लहरों सी बहती ज़िंदगी,तुझे किसकी तलाश है ए लहरों सी बहती ज़िंदगी,तुझे किसकी तलाश है